History of Dudu city, Jaipur
दूदू का इतिहास
दूदू का प्राचीन itihaas
History of dudu
Dudu fort
Dudu district
दूदू जयपुर व Ajmer के बीच स्थित एक शहर है । दूदू के शासकों ने Jaipur को बचाने के लिए कई Important युद्ध में अपना वर्चस्व दिया । दूदू के किले में आदित्य कारीगरी मिलती है । दूदू के किले में सोने की कलम से काम किया गया था । दूदू के किले का मोती महल, सुनहरी महल, कांच का महल शिल्प विद्या और चित्रांकन या का बड़ा बेमिसाल है। दूदू का पुराना नाम दुदावति था । दूदू के शासकों ने जयपुर के प्रसिद्ध युद्ध में अपना इतिहास बनाया जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह प्रथम ने बीच उनके आनंद सिंह खंगारोत को दूदू का शासक बनाया था आनंद सिंह के पुत्र पहाड़ सिंह बड़े वीर थे और जयपुर के दीवान भी रहे थे। 28 जुलाई 1787 को तुगा के मैदान में महादजी सिंधिया और जयपुर के बीच में बड़ा घमासान युद्ध हुआ था जिसका नेतृत्व दूदू के राजा पहाड़ सिंह ने किया, जिसने सेना के हरावल में रहकर महादजी सिंधिया को दूर तक खदेड़ कर आया था। यह युद्ध इतना बड़ा था कि इसमें 25000 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे। और यह युद्ध इतना बड़ा था कि सेना में वीरगति को प्राप्त हुए लोगों को दफनाने के लिए तथा अंत्येष्टि करने के लिए 3 दिन युद्ध को रोकना पड़ा । दूदू के पहाड़ सिंह के नेतृत्व में तुगा के युद्ध में सेना ने बड़ा पराक्रम दिखाया था। बाहरण नाथूराम ने युद्ध का वर्णन करते हुए लिखा कि दूदू पति पहाड़ सिंह लिंग मराठों के मुंड मतीरे की तरह काट कर खेतों में फैला दिए थे। फतेहपुर के शेखावटी में जॉर्ज थॉमस की शक्तिशाली सेना से पहाड़ सिंह खूब लड़ा और वीरगति को प्राप्त हो गया। पहाड़ सिंह की इस वीरता के बाद दूध वालों का रुतबा और भी बढ़ गया। पहाड़ सिंह के भतीजे भी लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे, उनका देवालय भी बना हुआ है जहां इनकी पूजा होती है, पहाड़ सिंह के पुत्र कुंवर फतेह सिंह ने पुष्कर तीर्थ की रक्षा करने के लिए अनूठी कुर्बानी दी थी। उन्होंने वहां मुस्लिमों से युद्ध किया और घायल होने के बाद उन्होंने पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपने प्राणों को त्याग कर दिया था। उनके सारे पर उनकी जोधाना और राठौड़ी महिलाओं ने दूध में अपनी जीवन लीला को समाप्त कर दिया था। जीवन सिंह और उनके घोड़े को पुष्कर के मगरमच्छ ने अपना निवाला बना लिया था। पुष्कर में भी जीवन सिंह की छतरी आज भी बनी हुई है। पहाड़ सिंह के 6 पुत्र थे, जिनमें से तीन पुत्रों ने तुगा कि युद्ध में अपना योगदान दिया था। इन वीरों ने मराठों की तोपों पर कब्जा कर जयपुर को विजय दिलाई थी। दूदू के रसाल दास भी युद्ध में थे और उन्हें दूदू के नाना का राजा बनाया गया। आजादी के बाद दूदू के ठाकुर भानु प्रताप रामराज्य पार्टी से विधायक रहे थे, उनका राजनीतिक प्रभाव काफी रहा। राजमाता गायत्री देवी कि स्वतंत्र पार्टी में प्रमुख नेता थे। उन्होंने जोबनेर और सावरदा के अमर सिंह और आसपास के ठिकानों को रामराज्य पार्टी से विजय दिलवाई। रामगंज बाजार में दूदू हाउस सियासत काल में राजनीतिक का केंद्र था। स्टेशन के पास लोहा मंडी के पास दूदू का बाग काफी प्रसिद्ध है। जयपुर के सामन्तो मैं दूदू का नाम काफी प्रसिद्ध रहा। दूदू को युद्ध में वीरता दिखाने के लिए दूदू को रसीदपुर और अन्य चार गांव की जागीरदारी दी गई थी। दूदू का भी किसी जमाने में काफी आलीशान नाम था।
दूदू भारत के राजस्थान राज्य के जयपुर ज़िले में स्थित एक तहसील और पंचायत समिति है।
जो अब जिला बन चुका है।
दूदू का पिन कोड 303008
यहां वाहन पंजीकरण संख्या RJ 47
अजमेर 71 किलोमीटर
जंतर मंतर 72 KM
निकटवर्ती जिले
जयपुर 68 KM
अजमेर 70 KM
टोंक 89 किलोमीटर
सीकर 115 कि.मी
रेलवे स्टेशन के पास
नरैना रेल वे स्टेशन 15 KM
फुलेरा जंक्शन रेल वे स्टेशन 24 KM
आपको दूदू के बारे में जानकर कैसा लगा हमें कमेंट में बताएं। जय राजपूताना जय राजस्थान।
दूदू के वर्तमान शासकों में ठाकुर कुलदीप सिंह, ठाकुर रघुनाथ सिंह, कंवर वीरेंद्र सिंह, भूपेंद्र सिंह है।
दूदू का लोकसभा क्षेत्र अजमेर है।
दूदू एक विधानसभा क्षेत्र है यहां के प्रसिद्ध नेता श्री बाबूलाल जी नागर विधायक अनेक बार विधायक पद पर रह चुके हैं और 2018 से अब तक विधायक पद पर है।
दूदू जयपुर से 74 किलोमीटर दूर है।
दूदू से सांभर 30 किलोमीटर दूर है।
दूदू फागी से 40 किलोमीटर दूर है।
दूदू किशनगढ़ से 41 किलोमीटर दूर है।
दूदू के आसपास के शहर जिसमें से फुलेरा 23 KM, सांभर 30 KM,मालपुरा 50 कि.मी,अजमेर 70 KM,तालुकसी के पासदूदू 11 KM,अरैन 42 KM।
दूदू के पास वाले एयरपोर्ट जिसमें से सांगानेर हवाई अड्डा 65 KM,जोधपुर हवाई अड्डा 248 KM,डाबोक हवाई अड्डा 297 KM,खेरिया हवाई अड्डा 309 KM,
पर्यटन स्थलों के पास कुचामन 71 KM
PM Gautam gidani
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